Panchatantra Story in Hindi शरारती गिलहरी | Panchatantra Kahani

नमस्कार, स्वागत है आपका हमारे blog, Hindi Best Stories में, आज मै आप को Panchatantra Story in Hindi सुनाऊंगा, उम्मीद कर ता हु आप को ये Panchatantra Kahani in Hindi पसंद आयेगी।
तो शुरू कर ते है Panchatantra Story in Hindi मै।
किसी जंगल में चुनचुन नाम की शरारती गिलहरी अपनी माँ किट्टू के साथ रहती थी। चुन चुन कभी भी किट्टू की बात नहीं मानती थी। चुनचुन के हरकतों से जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान रहते थे। 1 दिन चुनचुन पेड़ पर खेल रही थी और उसी पेड़ पर फर्राटा नाम का एक बंदर भी सो रहा था।
फर्राटा को देख चुनचुन ने अपनी माँ से कहा, माँ ये बंदर हमारे पेड़ पर क्यों सो रहा है? ये पेड़ तुम्हारा कब से हो गया चुनचुन ? सोने दो उसे। लेकिन माँ जंगल में और भी तो पेड़ है इससे कहो किसी दूसरे पेड़ पर जा कर सोएं। चुनचुन जैसे ही जंगल सबका है, वैसे ही ये पेड़ भी सबका है, इसीलिए तुम इस पेड़ से उसे नहीं हटा सकती। (Panchatantra Story in Hindi)
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किट्टू ये बोलकर चली गई लेकिन चुनचुन को एक शरारत सूझी। वो बंदर के पास पहुंची। उसने बंदर की पूंछ को पेड़ की टहनी से बांध दिया। उसके थोड़ी ही देर बाद जब फर्राटा बंदर सोकर उठा तो उसने दूसरी टहनी पर छलांग लगाने की कोशिश की, लेकिन उसकी पूंछ बंधी होने के कारण वो दूसरे टहनी तक नहीं पहुँच सका और वहीं पेड़ से उल्टा लटक कर चिल्लाने लगा।
बंदर : बचाओ बचाओ मैं यहाँ पेड़ पर उल्टा लटक गया हूँ बचाओ।
फर्राटा के चिल्लाने की आवाज सुनकर सभी जानवर वहाँ आ गए और तभी वहाँ मौजूद जंगल का राजा शेर सिंह बोला, अरे फर्राटा, तुम इतना चिल्ला क्यों रहे हो ?
बंदर : किसी ने मेरी पूछ को पेड़ की टहनी से बांधी है।
हाथी : लेकिन तुम्हारी पूछ टहनी से कौन बांधेगा किसी को क्या मिलेगा ऐसा करके?
हिरण : ये काम इस शरारती चुनचुन ने ही किया होगा। वहीं जंगल के सभी जानवरों को परेशान करती है।
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ये बातें किट्टू और चुनचुन पेड़ के ऊपर बैठकर सुन रही थी। इतने में चुनचुन बोली, हाँ मैंने ही बंदर की पूंछ पेड़ से बांधी है।
हाथी : लेकिन तुमने ये सब क्यों किया? बंदर ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?
चुनचुन : जंगल में इतने सारे पेड़ है तो ये बंदर इस पेड़ पर क्यों सोया? ये हमारा पेड़ है। ये सुनकर सभी जानवर हैरान रह गए।
हिरण बोला : चुनचुन एक बात कान खोलकर सुन लो ये जंगल सबका है। इसलिए यहाँ के पेड़ों पर भी सबका अधिकार है।
शेर सिंह : चुनचुन अगर अब तुम ने जंगल में किसी जानवर को तंग करने की कोशिश की तो मैं तुम्हें इस जंगल से निकाल दूंगा।
ये सुन कर किट्टू जल्दी से बोल पड़ी नहीं, नहीं महाराज, चुनचुन अभी छोटी है, उसको माफ़ कर दीजिए। आज के बाद वो ऐसी शरारत कभी भी नहीं करेगी। मैं अभी फर्राटा की पूंछ खोल देती हूँ। ये कहकर किट्टू फर्राटा बंदर की पूंछ पेड़ की टहनी सी खोलने लगी और तभी फर्राटा बंदर पेड़ से गिर गया।(Panchatantra Story in Hindi)
शेर सिंह बोला : किट्टू समझा देना अपनी बेटी को, ये उसके लिए आखिरी चेतावनी है।
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ये बोलकर शेर सिंह और जंगल के बाकी जानवर वहाँ से चले गए और किट्टू ने चुनचुन से कहा चुनचुन तुम ये शरारते करना कब छोड़ोगी। तुम्हारी ये नासमझी किसी दिन तुम्हारी मुसीबत बन जाएगी समझी। किट्टू की बात का चुनचुन पर कोई असर नहीं हुआ। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए कि तभी किट्टू को किसी काम से जंगल से बाहर जाना पड़ गया और उसने चुनचुन से कहा।
चुनचुन मैं एक जरूरी काम से जंगल के बाहर जा रही हूँ, लेकिन तुम यहाँ किसी को परेशान मत करना और जंगल से कहीं दूर मत जाना। ठीक है मा आप चिंता मत करो, मैं किसी को परेशान नहीं करूँगी। लेकिन चुनचुन की बात पर किट्टू को विश्वास नहीं था। इसीलिए उसने अपने पड़ोस में रहने वाले कालू कौवा से कहा। कालू भाई मैं जंगल से बाहर जा रही हूँ, एक 2 दिन में वापस आ जाउंगी। क्या तुम चुनचुन का ख्याल रखोगे?
कालू : ठीक है किट्टू लेकिन जल्दी आने की कोशिश करना। तुम्हारी बेटी को ज्यादा दिन तक संभालना मेरे बस की बात नहीं है।
कालू भाई, चिंता मत करो, मैं जल्दी आने की कोशिश करूँगी। यह बोलकर किट्टू चली गई और चुन चुन वहीं जंगल में रहने लगी। 1 दिन चुनचुन पेड़ पर अकेली बैठी सोच रही थी। माँ को गए हुए इतने दिन हो गए। क्यों ना मैं भी जंगल से बाहर जाकर माँ से मिल्लू ? माँ मुझे देखकर कितना खुश होगी? ये सोचते हुए वो पेड़ से उतरने लगीं ताकि वो जंगल से बाहर जा सके लेकिन पेड़ से उतरते हुए उसे कालू ने देख लिया और वो बोला।
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कालू: चुनचुन तुम कहाँ जा रही हो पेड़ से नीचे क्यों उतर रही हो?
चुनचुन : कही नहीं कालू अंकल, मैं तो बस पानी पीने जा रही थी पानी पीकर जल्दी आ जाऊँगी।
कालू: ठीक है, जाओ, लेकिन जल्दी आ जाना रात होने वाली है।
कालू की बात सुनकर चुनचुन वहाँ से चली जाती है और वो जंगल से बाहर जाने की कोशिश में रास्ता भूल जाती है। अब उसे दूर दूर तक कोई नहीं दिखाई देता, जिससे वो रास्ता पूछ सके। उधर किट्टू जब पेड़ पर वापस आई तो उसे चुनचुन कहीं नहीं दिखाई दी। उसने कालू से पूछा, कालुभाई कालुभाई चुनचुन कहाँ है।
कालू : उसने थोड़ी देर पहले मुझसे कहा था की वो पानी पीने जा रही है उसके बाद अभी तक नहीं लौटी।
किट्टू : कहीं वो किसी मुसीबत में ना फस जाए। हमें जाकर उसकी मदद करनी चाहिए और रात भी होने वाली है हमें अभी जाकर जंगल के सभी जानवरों को बताना चाहिए।
ये कहकर किट्टू और कालू ने जंगल के सभी जानवरों को सारी बात बता दी। सभी चुनचुन को इधर उधर ढूंढने लगे लेकिन वो कहीं नहीं मिली। तभी कालू को आसमान में एक बाज उड़ता हुआ दिखाई दिया। तभी कालू ने कहा। व, देखो आसमान में बाज उड़ रहा है।
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भालू : इस समय यह बाज आसमान में क्या कर रहा है।
हिरण : लगता है वो अपना भोजन ढूंढ रहा है।
हिरण की बात सुनकर किट्टू घबरा गईं और बोलीं कहीं ऐसा तो नहीं उस बाज की नजर मेरी चुनचुन पर पड़ गई हो।
कालू : तुम चिंता मत करो मैं अभी अपने दोस्त मिट्ठू तोते के साथ जाता हूँ और पता करता हूँ।
ये कहकर कालू मिट्ठू के साथ बाज का पीछा करने चला गया। उसने देखा कि बाज़ चुनचुन के ऊपर मंडरा रहा था। यह देखकर कालू समझ गया कि उस बाज का शिकार चुनचुन ही थी। उसने सारी बात जंगल के जानवरों को बता दी और वापस चुनचुन की मदद करने मिट्ठू तोते के साथ चला गया।
अब बाज ने मौका पाकर चुन चुन को अपने पंजों में दबा लिया। ये देखकर कालू बोला मिट्ठू जल्दी उस बाज के पास चलो नहीं तो वहाँ चुन चुन को खा जाएगा? यह सुनकर मिट्टू और कालू आसमान में बाज से लड़ने लगी। वो दोनों बाज पर अपनी चोंच से लगातार वार करने लगे। इसी दौरान चुनचुन बाज के चंगुल से छूट गई। चुनचुन को नीचे गिरता देख जानवरों ने पत्तियों और घास से बना हुआ जाल नीचे बिछा दिया। चुनचुन उस नरम जाल पर आ गिरी।(Panchatantra Story in Hindi)
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किट्टू : चुनचुन बेटा तुम ठीक तो हो ना? हाँ, माँ, मैं बिल्कुल ठीक हूँ।
शेर सिंह : चुनचुन, हम तुम्हें इसलिए समझाते थे की शरारत मत किया करो, देखा तुम कितनी बड़ी मुसीबत में फस गयी?
यह सुनकर चुनचुन अपनी माँ से बोली। मुझे माफ़ कर दो माँ मैंने कभी आपकी बात नहीं सुनी। अब से मैं कोई शरारत नहीं करूँगी।
उम्मीद करता हूं दोस्तों आप को Panchatantra Story in Hindi, पसंद आई होगी। और भी कहानी के लिये आप post के नीचे comment करे। तो मिलते हैं अगली post में नई कहानी के साथ।
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