Bhutiya Kahaniyan - Mysterious Park | भूतिया कहानी - Horror Story

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको एक Mysterious Park की डरावनी Bhutiya Kahaniyan सुनाऊंगा (भूतिया कहानी)। उम्मीद करता हु आपको यह कहानी बहुत अच्छी लगेगी।
मेरा नाम Irfan है और मैं North Karachi के चौरंगी नाम की जगह के पास रहता हूं, और यह कहानी जो मैं बताने जा रहा हूं यह भी वही के एक park की है। यह बात आज से करीब 6 साल पहले की है, रात में job से मैं late आया करता था इसीलिए रात का खाना भी late ही होता था। खाना खाने के बाद मैं और मेरी wife घर से बाहर निकल जाया करते थे, पैदल घूमने के लिए।
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तो शुरू कर ते है Mysterious Park की Bhutiya Kahaniyan.
मेरा नाम Irfan है और मैं North Karachi के चौरंगी नाम की जगह के पास रहता हूं, और यह कहानी जो मैं बताने जा रहा हूं यह भी वही के एक park की है। यह बात आज से करीब 6 साल पहले की है, रात में job से मैं late आया करता था इसीलिए रात का खाना भी late ही होता था। खाना खाने के बाद मैं और मेरी wife घर से बाहर निकल जाया करते थे, पैदल घूमने के लिए।
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हम अपने area की गलियों में घूमते, और फिर कुछ देर बाद वापस आ जाते। लेकिन एक दिन हम घूमते घूमते उस park में बने एक park में चले गए, उस वक्त रात के करीब 2:00 बज रहे थे। वैसे तो वह park हमारे ही area में था लेकिन हम उस park में पहली बार गए थे और उस park का माहौल देखकर हमें बहुत अच्छा लगा। इसीलिए हम रोज रात उस park में घूमने के लिए जाने लगे। (Read full Bhutiya Kahaniyan.)
हम रात करीब 1:30 बजे वहां जाते और फिर 1 घंटे बाद 2:30 बजे तक वापस आ जाते, रात में जब हम उस park में जाते तो park में बहुत रौनक रहती थी बच्चे, बड़े, औरतें सब अच्छी अच्छी Family park में होती थी। वह सब लोग बहुत तमीज दार और अच्छे घरों के लगते थे। इसलिए हम रोज उस park में जाने लगे अपने बच्चों को भी साथ ले जाया करते थे। जब भी उनकी school की छुट्टी हुआ करती थी।
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हमें वहां बहुत अच्छा लगता है और बहुत सारे लोगों से हमारी दोस्ती भी हो गई थी, मेरी wife की भी कई सहेलियां बन गई थी और बच्चों के भी कई सारे दोस्त बन गए थे। लेकिन एक बात बहुत अजीब लगती थी कि वहां हमें जितने भी लोग मिलते थे, वह सिर्फ हमें park में ही मिलते थे, park के बाहर हमने उन्हें कभी नहीं देखा था, जबकि वह सब उसी एरिया के ही लोग थे।
हमने उनको बहुत बार अपने घर आने के लिए भी बोला लेकिन वोलोग हर बार किसी ना किसी बहाने से मना कर देते थे। लेकिन उनका लहजा इतना अच्छा था कि उनकी कोई भी बात बुरी नहीं लगती थी। हम शायद 1 साल तक रोज वहां जाते थे, बहुत अच्छा लगता था। लेकिन फिर 1 दिन मेरा office से जल्दी घर आना हो गया मैं घर में बैठा बोर हो रहा था इसलिये सोचा की family के साथ park में ही घूमने चला जाता हूं। (Read full Bhutiya Kahaniyan)
हमने उनको बहुत बार अपने घर आने के लिए भी बोला लेकिन वोलोग हर बार किसी ना किसी बहाने से मना कर देते थे। लेकिन उनका लहजा इतना अच्छा था कि उनकी कोई भी बात बुरी नहीं लगती थी। हम शायद 1 साल तक रोज वहां जाते थे, बहुत अच्छा लगता था। लेकिन फिर 1 दिन मेरा office से जल्दी घर आना हो गया मैं घर में बैठा बोर हो रहा था इसलिये सोचा की family के साथ park में ही घूमने चला जाता हूं। (Read full Bhutiya Kahaniyan)
मैंने बच्चों से कहा कि चलो park चलते हैं, park का नाम सुनते ही सब उठ गए और जाने को तैयार हो गए कुछ ही देर बाद हम park जाने के लिए निकल गए, लेकिन जब हम park पहुंचे तो park में ताला लगा हुआ था। हमने वहां बैठे चौकीदार से पूछा कि आज park में ताला क्यों लगा है, तो उसने कहा कि अभी रात के 11:00 बजे हैं और यह पार्थ 11:00 बजे बंद हो जाता है। मुझे लगा चौकीदार शायद मुझसे मजाक कर रहा है।
इसलिए मैंने उसे गुस्से में बोला कि park क्यों बंद किया है, वजह बताओ नहीं तो गेट खोलो। चौकीदार बोला कि भाई जब मैं बोल रहा हूं कि park 11:00 बजे बंद हो जाता है तो आप क्यों पीछे पड़े हैं। तो मैंने उसको बताया कि मैं तो रोज रात 1:30 बजे park में आता हूं, तब तो यह park खुला होता है, तो आज कैसे 11:00 बजे ही बंद हो गया। मेरी बात सुनकर चौकीदार हंसने लगा बोला कि भाई मैं बहुत time से इस park में चौकीदारी कर रहा हूं और मैं ही हमेशा खुलता और बंद करता हूं, आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई होगी आप किसी और park में जाते होंगे।
हम दोनों की काफी बहस हुई और आखिर में मुझे अपनी family के साथ वापस आना पड़ा। लेकिन फिर उसी रात 1:30 बजे, मैं वापस उस park में check करने गया कि वह चौकीदार मुझसे झूठ क्यों बोल रहा था। लेकिन मैं जब park में पहुंचा तो देखा कि park का gate तो खुला हुआ था और वहां कोई चौकीदार भी नहीं था। मैं अंदर गया तो देखा कि park के अंदर वह सब लोग घूम रहे थे जो मुझे हर रोज वहां मिला करते थे। (Bhutiya Kahaniyan in Hindi)
मैं वापस घर आया और अपनी wife को लेकर वापस park में गया और जाकर उन लोगों से बात की, मैंने उनसे चौकीदार के बारे में पूछा तो उन्होंने बोला कि यहां तो कोई चौकीदार नहीं होता, शायद कोई आपसे मजाक कर रहा होगा। मैंने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर अपने time पर घर वापस आ गया। लेकिन मैं फिर से उसी चौकीदार के पास गया गुस्से में वहां पहुंचा तो वह चौकीदार वहीं बैठा हुआ था।
मैं वापस घर आया और अपनी wife को लेकर वापस park में गया और जाकर उन लोगों से बात की, मैंने उनसे चौकीदार के बारे में पूछा तो उन्होंने बोला कि यहां तो कोई चौकीदार नहीं होता, शायद कोई आपसे मजाक कर रहा होगा। मैंने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर अपने time पर घर वापस आ गया। लेकिन मैं फिर से उसी चौकीदार के पास गया गुस्से में वहां पहुंचा तो वह चौकीदार वहीं बैठा हुआ था।

मैंने उसको एक थप्पड़ लगाया और बोला कि तूने मुझसे झूठ क्यों बोला था कि पाक 11:00 बजे बंद हो जाता है मैं 1:30 बजे आया था, तब तो park खुला हुआ था। लेकिन फिर वहां कुछ लोग जमा हो गए और उन्होंने भी बोला कि यह park हमेशा 11:00 बजे बंद हो जाता है। उन सब की बात सुनकर मैं थोड़ा डर गया कि एक चौकीदार तो झूठ बोल सकता है, लेकिन इतने सारे लोग झूठ क्यों बोलेंगे। घर आकर मैंने अपनी wife को यह बात बताई तो वह भी डर गई।
हमने रात में एक बार फिर से park में जाने का फैसला किया, लेकिन इस बार हम 12:00 बजे ही park में चले गए। लेकिन जब हम वहां पहुंचे तो देखा कि park तो बंद था और वह चौकीदार भी वहीं बैठा हुआ था। हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है, इसीलिए हमने वही लोग का देखने का फैसला किया और फिर ठीक 1:00 बजे वह चौकीदार भी वहां से चला गया। लेकिन हम फिर भी वही park के पास बैठे रहे gate तब भी बंद ही था।
हमने रात में एक बार फिर से park में जाने का फैसला किया, लेकिन इस बार हम 12:00 बजे ही park में चले गए। लेकिन जब हम वहां पहुंचे तो देखा कि park तो बंद था और वह चौकीदार भी वहीं बैठा हुआ था। हमें तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है, इसीलिए हमने वही लोग का देखने का फैसला किया और फिर ठीक 1:00 बजे वह चौकीदार भी वहां से चला गया। लेकिन हम फिर भी वही park के पास बैठे रहे gate तब भी बंद ही था।

हम बाहर बैठे ही थे कि अंदर से लोगों के बातें करने और बच्चों के खेलने की आवाजें आने लगी, जबकि park पर अभी भी ताला लगा हुआ था, तो लोग अंदर कैसे पहुंचे। मैंने दीवार के ऊपर से देखा तो देखा कि वही लोग जो हमें रोज park में मिलते हैं, वह park में ही घूम रहे थे। बात समझ आते ही मैं और मेरी wife वहां से भागे, अगली सुबह मैं फिर से उसी चौकीदार के पास गया और उससे माफी मांगी। (Read Bhutiya Kahaniyan)
मैंने यह सारी बात एक मौलाना को बताई तो उन्होंने कहा कि बेटा आप डरो नहीं, वह अच्छे जिन्नात होते हैं उन्होंने आपको किसी तरह का कोई नुकसान तो नहीं पहुंचाया ना। बस आप रात में उस park में मत जाना, मैंने मन ही मन सोचा कि रात में तो क्या मैं तो अब दिन में भी उस park में नहीं जाने वाला। आज इस बात को बहुत time बीत चुका है लेकिन जिन्नात के साथ मैंने दोस्ती की थी मजाक मस्ती भी किया था, यह सब याद करके आज भी डर लगता है।
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मैंने यह सारी बात एक मौलाना को बताई तो उन्होंने कहा कि बेटा आप डरो नहीं, वह अच्छे जिन्नात होते हैं उन्होंने आपको किसी तरह का कोई नुकसान तो नहीं पहुंचाया ना। बस आप रात में उस park में मत जाना, मैंने मन ही मन सोचा कि रात में तो क्या मैं तो अब दिन में भी उस park में नहीं जाने वाला। आज इस बात को बहुत time बीत चुका है लेकिन जिन्नात के साथ मैंने दोस्ती की थी मजाक मस्ती भी किया था, यह सब याद करके आज भी डर लगता है।
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उम्मीद करता हूं दोस्तों आप को Bhutiya Kahaniyan - Mysterious Park की कहानी पसंद आई होगी। और भी कहानी के लिये आप post के नीचे comment करे। तो मिलते हैं अगली post में नई कहानी के साथ।
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