Top 5 Moral Stories in Hindi - Short Moral Stories | हिंदी कहानी 
नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे Blog, Hindi Best Stories में, दोस्तों कहानी हमारे जीवन का एक हिस्सा है। हम सभी ने अपने बचपन मै कहानियां सुनी है, और उस कहानि से हमने सीख भी ली है। इसी तरह की कहानी, आज मैं आपको Top 5 Moral Stories in Hindi मैं सुनाऊंगा। कहानियां आपको सीख भी देंगे, उम्मीद करता हूं आपकोयह कहानी पसंद आएगी।
चलिए शुरू करते हैं Moral Stories in Hindi
1. कौवा और अन्य पक्षी की तुलना की कहानी
एक जंगल में एक कौवा/crow रहता था, वो बड़ा ही खुश और मस्ती में रहता, पर एक बार उसने देखा उसे एक सुंदर पक्षी दिखाई दिया, वो उस पक्षी के पास तुरंत ही गया उस पक्षी का रंग सफेद था। कौवा ने उससे पूछा तुम्हारा नाम क्या है? पक्षी ने हंसकर कहा हंस, कौवा बड़ा खुश हुआ और खुश होकर कहा यार तुम तो बड़े सुंदर हो, सफेद भी हो तुम्हे तो बड़ा मज़ा आता होगा जिंदगी जीने में। लेकिन हंस ने कहा नहीं मुझसे ज्यादा भी कोई और सुन्दर है।
कौवा हैरान हो गया और कहा कौन है, जो तुम से भी सुंदर है? हंस ने कहा तोता। कौवा तुरंत वहाँ से उड़कर तोते के पास पहुंचा और कौवा उसे देखकर हैरान हो गया, तोते के गले में लाल रंग और तोता हरे रंग का था। कौवे ने उससे कहा, यार तुम तो बड़े खुश रहते होंगे तुम इतने शानदार जो दिखते हो।
Also, read : Sher Aur Chuha ki Kahani in Hindi - शेर और चूहे की कहानी तोता मायूस हुआ और कहा नहीं मुझ से भी शानदार और सुन्दर तो मोर है। तो कौवा वहाँ से उड़कर मोर को ढूंढने लगा उसने कई दिनों तक मोर को ढूंढा, मोरू उसे नहीं मिला। लेकिन कुछ दिन बाद उसे पता चला और मोर शहर में एक चिड़ियाघर में हैं। कौवा चिड़िया घर पहुंचा और उसने मोर को देखा काफी लोग मोर के साथ photo click कर रहे थे। ये देखकर कौवे को थोड़ी जलन हुई कौवा मोड़ के पास गया और कहा।
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यार तुम्हारी ज़िंदगी में तो मज़े ही मज़े हैं, मोर उदास हुआ और कहा किस बात के मज़े? मैं भले ही दिखने में शानदार और सुंदर हूँ, लेकिन मेरी पूरी जिंदगी इस बंद पिंजरे में ही गुज़रने वाली है। मोर ने कौवे से कहा, यार तुम बड़े किस्मत वाले हो, खुले आसमान में जहाँ चाहें वहाँ जा सकते हो।
Moral of the Story/कहानी की शिक्षा
दोस्तों याद रखना तुम अपनी जिंदगी में कभी किसी से अपनी तुलना मत करना। वरना एक दिन अहसास जरूर होगा की तुलना करना गलत बात थी। लेकिन तुम्हारे पास वक्त नहीं होगा खुद का कुछ करने का।
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2.मूर्तिकार और यमदूत की कहानी - Moral Stories in Hindi
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था, वे ऐसी मूर्तियां बनाता था, जिन्हें देखकर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था। आसपास के सभी गांव में उसकी प्रसिद्धि थी, लोग उसकी मूर्ति कला के कायल थे। इसलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था।
जीवन के सफर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उसे लगने लगा कि अब उसकी मृत्यु होने वाली है। मैं ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाऊंगा, उसे जब लगा कि जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है। तो ये परेशानी में पड़ गया, यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने योजना बनाई।
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उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियां बनाई और खुद उन मूर्तियों के बीच जाकर बैठ गया। यमदूत जब उसे लेने आये तो एक जैसे ११ आकृतियों को देखकर दंग रह गए, वे पहचान नहीं पा रहे थे की मूर्तियों में से असली मनुष्य हैं कौन? वे सोचने लगी है, अब क्या किया जाए?
अगर इस मूर्तिकार की जान नहीं ले पाया तो पूरी सृष्टि का कानून टूट जाएगा और सच जानने के लिए मूर्तियों को नष्ट किया तो कला का अपमान होगा. अचानक से यमदूत को इंसानी स्वभाव के अवगुण को जांचने का विचार आया।
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उसने मूर्तियों को देखते हुए कहा कि कितनी सुंदर मूर्तियां बनी हैं ना, लेकिन मूर्तियों में एक गलती है। काश मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता तो मैं उसे बताता मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है? ये सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा। उसने सोचा, मैंने अपना पूरा जीवन मूर्ति बनाने में समर्पित कर दिया, मेरी मूर्तियों में गलती कैसे हो सकती है? तभी वो बोल उठा कैसे गलती? झट से यमदूत ने उसे पकड़ लिया और कहा बस यही गलती कर गए तुम अपने अहंकार में, की बेजान मूर्तियां बोला नहीं करती।
Moral of the Story/कहानी की शिक्षा
दोस्तों इस कहानी से हमने ये सीखा कि, इतिहास गवाह है, अहंकार ने हमेशा मनुष्य को परेशानी और दुख के सिवा कुछ नहीं दिया।
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3. वैज्ञानिक और टिड्डा की कहानी - Moral Stories in Hindi
एक बार एक वैज्ञानिक (Scientist) ने एक टिड्डी (Grasshopper) को पकड़ा और उसे अपनी आवाज पर छलांग लगाना सिखाया, वैज्ञानिक टिड्डी से कहता कूदो, टिड्डी उसकी आवाज सुनते ही ज़ोर से छलांग लगा देता। अब वो वैज्ञानिक था प्रयोग करना तो बनता ही था। उन्होंने टिड्डी के छलांग पर प्रयोग किया।
वैज्ञानिक ने उसकी एक टांग तोड़ दी और फिर बोला कूदो, अब टिड्डी की छलांग की दूरी कम हो गई। वैज्ञानिक ने उसकी दूसरी टांग तोड़ दी और फिर बोला कूदो, टिड्डी की छलांग और कम हो गई, अब तोड़ी गई उसकी तीसरी टांग छलांग की दूरी और कम हो गई।
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एक एक करके बेचारे टिड्डी की सारी टांगे तोड़ दी गई, अब आखरी टांग टूटने पर, जब उसे कहा गया कूदो तो वो हिल भी नहीं पाया। अब वैज्ञानिक ने अपना निष्कर्ष अपनी डायरी में लिखा। जानते उसने क्या लिखा?
जब टिड्डी कि एक टांग तोड़ी गई तो वो थोड़ा बहरा हो गया, जब उसकी दूसरी टांग तोड़ी गई तो वो और बहरा हो गया, हर टांग टूटने के साथ वो और बहरा और बहरा होता गया और सारी टांग टूटने के बाद वो बिल्कुल बहरा हो गया। ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ।
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वो तो अपनी जगह से हिला तक नहीं, छलांग लगाना तो दूर की बात थी। इस कहानी को सुनकर सभी को ऐसा ही लग रहा है ना, की क्या मूर्ख वैज्ञानिक था। इतनी सीधी सी बात उसे समझ नहीं आई ,या कुछ लोग ये भी सोच रहे होंगे कि ये तो किसी बच्चे को भी पता है? ये टिड्डी की छलांग उसकी टांग टूटने की वजह से कम होती जा रही थी ना की वो बहरा हो गया था।
पर दोस्तों हम सभी जीवन में कई बार ऐसे ही मूर्ख बन जाते हैं, कई बार जीवन में दो घटनाएं एक साथ ऐसी घटती है कि उनका एक दूसरे से कोई संबंध होता ही नहीं, फिर भी ऐसा लगता है कि गहरा संबंध है। कभी कभी दिखता कुछ और है हमें समझ कुछ और आता है और वास्तव में होता कुछ और है।
Moral of the Story/कहानी की शिक्षा
इसलिए अगर पछताना नहीं है, तो जीवन में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें, हमेशा समझ बूझ का इस्तेमाल करें, सावधानी बरतें, नतीजे सोच विचार कर ही निकालें।
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4. बच्चा और पालतू जानवर की कहानी - Moral Stories in Hindi
एक बच्चा पालतू जानवर की दुकान पर एक पिल्ला(puppy) खरीदने गया, दुकान में बहुत तरह के पिल्ले थे, कोई चार हज़ार, कोई छह हज़ार, कोई दस हज़ार। अलग अलग कीमत वाले, पर एक पिल्ला कोने में बैठा था एकदम चुपचाप सा।
बच्चे ने पूछा ये अकेला क्यों बैठा है? दुकानदार ने कहा, ये अपाहिज हैं, इसका पैर एकदम खराब है। यूं तो यह एक शानदार पिल्ला है, मगर अपाहिज होने के कारण ये बिकाऊ नहीं है। बच्चे ने फिर पूछा अगर ये बिकाऊ नहीं है, तो आप इसका क्या करेंगे? दुकानदार ने बच्चे को जवाब दिया, इसे मार दिया जाएगा।
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बच्चे ने दुकानदार से फिर कहा क्या मैं इस पिल्ले के साथ थोड़ी देर खेल सकता हूँ? क्यों नहीं, दुकानदार ने जवाब दिया? बच्चा भागता हुआ पिल्ले के पास गया, उसे गोद में उठा लिया पिल्ला बहुत खुश हुआ उसे पहली बार किसी ने इतना प्यार किया था। पहली बार किसी ने इतने प्यार से सहलाया था, पहली बार उसे महत्व दिया गया था। कितने खुश थे दोनों?
बच्चे ने उसी वक्त सोच लिया कि वो यही पिल्ला खरीदेगा, पर दुकानदार ने कहा कि ये बिकाऊ नहीं है। बच्चा जिद पर अड़ गया, वो दुकानदार की हथेली पर दो हज़ार रुपए रखकर बाकी के तीन हज़ार रुपए लेने अपनी माँ के पास दौड़ा। लड़का अभी दुकान से बाहर ही पहुंचा था कि दुकानदार ने पीछे से आवाज लगाई।
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मुझे समझ नहीं आ रहा है कि तुम इस अपाहिज पिल्ले के पीछे इतना पैसा क्यों खर्च करना चाहते हो? इतने पैसों में तो तुम एक अच्छा पिल्ला खरीद सकते हो। बच्चा पीछे मुड़ा पर कुछ न बोला बस अपनी एक टांग से pant ऊपर उठाएं उस लड़के ने पांव में brace पहन रखी थी, वो अपाहिज था।
दुकानदार कुछ न कर सका पर उसकी नम आँखें ये बता रही थी कि बच्चे के रूप में आज वो एक ऐसे इंसान से मिला है, जिसने उसे इंसानियत का सबक सीखा दिया।
Moral of the Story/कहानी की शिक्षा
पीड़ा को महसूस करने वाला बने, अकलमंद तो संसार में बहुत से मिल जाएंगे। किसी के दर्द को समझना अलग बात है और उस दर्द को महसूस करना अलग, दर्द को महसूस करने वाला बने फिर आपके अंदर की इंसानियत कभी नहीं मरेगी।
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5. मेहनत का फल - Moral Stories in Hindi
दो दोस्त थे, संजय और मनोज दोनों बेरोजगार थे, उन्होंने अपने परिचित गुरूजी से अपनी परेशानी बताई और कहा, गुरूजी, हमें कुछ रुपए दीजिए जिससे हम कुछ काम धंधा शुरू कर सके। गुरूजी ने दोनों दोस्तों को एक एक हज़ार रुपए दिए साथ ही यह कहा कि एक साल के अंदर तुम्हें इन रुपयों को लौटाना होगा।
दोनों ने गुरूजी की बात मान ली, फिर वे रुपए लेकर चल पड़े। रास्ते में संजय ने कहा, हमें इन रुपयों से कोई अच्छा काम शुरू करना चाहिए, पर मनोज ने कहा 'नहीं, अब हम कुछ दिन अच्छे स्थानों पर घूमने जाएंगे, मौज करेंगे। एक साल बीत जाने के बाद दोनों दोस्त गुरूजी के पास पहुंचे।
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गुरूजी ने पहले मनोज से पूछा तुमने रुपयों का क्या किया? क्या लौटाने के लिए रकम लाए हो? मनोज ने मुँह लटका कर जवाब दिया, गुरूजी किसी ने धोखा देकर वे रुपये ठग लिए। फिर उन्होंने संजय से पूछा तुम भी खाली हाथ आये हो क्या? संजय ने मुस्कुराकर जवाब दिया, नहीं गुरूजी।
ये लीजिए आपके एक हज़ार रुपए और अतिरिक्त एक हज़ार रुपए, गुरूजी ने पूछा तुम इतने रुपए कैसे कमा लाए? क्या तुमने किसी को धोखा दिया है? जी नहीं, संजय बोला मैंने तो अपनी सूझबूझ और मेहनत से रुपए कमाए हैं। एक किसान को परेशान देखकर मैंने उसके सारे फल खरीद लिए फिर उन्हें शहर में जाकर बेच दिया।
इसके बाद वो प्रतिदिन मुझे फल लाकर देता और मैं उन्हें बेच देता। कुछ दिनों के बाद मैंने शहर में दुकान ले ली और फलों का कारोबार शुरू किया, इतना कहकर उसने गुरु जी को मदद करने के लिए धन्यवाद दिया और अतिरिक्त रुपये किसी जरूरत मंद को देने के लिए रखने का आग्रह किया।
गुरूजी संजय से बहुत खुश हुए उन्होंने मनोज से कहा, अगर तुम भी समझदारी तथा मेहनत से काम करते, तो सफल हो सकते थे। संजय ने कहा अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है।
Moral of the Story/कहानी की शिक्षा
समय का सम्मान करो और श्रम का महत्व समझो, सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।
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तो दोस्तों यह थी Moral Stories in Hindi में, उम्मीद करता हूं की कहानी आपको अच्छी लगी होगी, और इस कहानी से मिली हुई सीख आपको समझ आ गई होगी, कहानी को अपने दोस्तों के साथ और अपने परिवार के साथ शेयर कीजिए। तो comment में बताइए यह कहानी कैसी लगी। तो मिलते हैं अगली post में नई कहानी और जानकारी के साथ।
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