Krishna Story in Hindi - श्री कृष्ण की कहानी | Lord Krishna

तो चलिए शुरू करते हैं Krishna Story in Hindi - श्री कृष्ण की जनम कहानी
द्वापर युग में पृथ्वी पर राक्षसों के अत्याचार लगातार बढ़ने लगे, पृथ्वी गाय का रूप धर भगवान ब्रह्मा और विष्णु के पास गई। हे भगवान धरती पर राक्षसों के अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं कुछ कीजिये प्रभु?
ब्रह्मा जी : हे नारायण अब आपको पृथ्वी की रक्षा के लिए धरती पर आठवें अवतार के रूप में अवतरित होने का समय आ गया है।
विष्णु जी : ठीक है, ब्रह्मादेव, मैं पृथ्वी का उद्धार करने के लिए मानव रूप में जन्म लूँगा।
भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा के राजा थे, उनका पुत्र कंस बहुत ही अत्याचारी स्वभाव का था। कंस ने उग्रसेन को राजगद्दी से उतारकर कारागार में डाल दिया।
कंस : सैनिकों पिता जी महाराज को काल कोठरी में डाल दो, आज से मथुरा नगरी में कंस का राज़ चलेगा। आज से महाराज उग्रसेन यहाँ बंदी बनकर रहेंगे और मथुरा नगरी पार मैं राज्य करूँगा, आशीर्वाद दीजिए पिता जी महाराज।
उग्रसेन : कंस तू मेरा पुत्र है, ये सोच कर मुझे लज्जा आ रही है, देखना एक दिन तेरे पाप का घड़ा अवश्य भरेगा।
कंस की छोटी बहन देवकी के विवाह की तैयारियां चल रही थी, देवकी मथुरा के राजा उग्रसेन के छोटे भाई देवक की पुत्री थी, ये कंस की चचेरी बहन थी।
Also, read : Munshi Premchand ki Kahani in Hindi - कफ़न Story in Hindi
Read full- Krishna Story in Hindi.

देवकी : अरे भैया कंस आप,आइये।
कंस : प्रिय बहना , देवकी, कल तुम इस महल से विदा हो जाओगी, तुम्हारे बिना ये महल सूना हो जाएगा।
देवकी : भैया, कंस आप मुझे बहुत याद आओगे?
अगले दिन देवकी का विवाह वासुदेव नामक यदुवंशी सरदार से संपन्न हुआ।
कंस : महाराज वासुदेव, मैं अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह करता हूँ, इसलिए देवकी बहन को मैं स्वयं अपने रथ पर ससुराल विदा करके आऊंगा।
वासुदेव : ये तो हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है महाराजगंज कंस।
कंस देवकी और वासुदेव को छोड़ने चल पड़ता है, देवकी के पिता देवक उसे बहुत सारा धन, धान्य, संपत्ति आदि देकर विदा करते है। कंस, देवकी और वासुदेव के साथ वार्तालाप करते हुए अभी आधे रास्ते ही पहुंचा था कि रास्ते में एक आकाशवाणी होने लगी। हे कंस जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां पुत्र तेरा वध करेगा।
कंस : ये आकाशवाणी कैसी, ये झूठ है, देवकी की कोख से जन्मा आठवां बालक, मेरा वध करेगा? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, यदि ऐसा है तो मैं वासुदेव का ही वध कर देता हूँ। हाँ, यही ठीक रहेगा फिर मुझे कोई डर नहीं।
देवकी : नहीं भैया इनका वध मत करो, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ, मेरा सुहाग मत उजाड़ो भैया कंस, मैं आपसे वादा करती हूँ, मेरे गर्भ से जो भी संतान पैदा होगी उससे मैं तुम्हें सौंप दूंगी, पर इन्हें मत मारो भैया।
Also, read : Akbar Birbal ki Kahani in Hindi - बीरबल की चतुराई

कंस : ठीक है, मैं वासुदेव का वध नहीं करूँगा, पर तुम दोनों अब मथुरा के महल की काल कोठरी में बंदी बनकर रहोगे।
वासुदेव : कंस देवकी तुम्हारी प्रिय बहन है, मुझे काल कोठरी में बंद करदो पर देवकी को छोड़ दो।
कंस ने वासुदेव और देवकी की एक बात न सुनी और वासुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। देवकी वासुदेव दोनों बहुत ही दुखी और हताश हो रहे थे।
देवकी : स्वामी मेरी वजह से आज आपको कारागृह में रहना पड़ रहा है, मैं ही आपके लिए दुख और विपदा का कारण बनी हूँ।
वासुदेव : नहीं, देवकी नहीं ऐसा मत कहो, मैं तुम्हें पत्नी रूप में पाकर बहुत प्रसन्न हूँ। हमें एक दिन कंस के पापों से मुक्ति जरूर मिले गी।
देवकी : पर स्वामी, भैया कंस मेरी कोख से जन्मे सभी बच्चों को मार देंगे, हम क्या करें?
देवकी वासुदेव कारागृह में दुख भोग रहे थे, कंस - देवकी और वसुदेव को धमकाता रहता था। वसुदेव देवकी के बच्चा पैदा होता और कंस कारागृह में आकर देवकी के हाथ से बच्चे को छीन लेता।
कंस : ला ये पुत्र मुझे दे बहना।
देवकी : भैया मेरे पुत्र को मत मारो, भैया नहीं। स्वामी हमारा पुत्र, मैं अपने सामने ही अपने सभी पुत्रों का वध होते कैसे देख पाऊंगी? देवकी बेहोश हो जाती है।
Also, read : Prithviraj Chauhan History in Hindi, Biography पृथ्वीराज चौहान

वासुदेव : हे ईश्वर कोई रास्ता दिखाओ कंस के अत्याचारों से हमें कब मुक्ति मिले की प्रभु, देव की आँखें खोलो।
कंस बहुत ही क्रूर और अत्याचारी राजा था, जिससे प्रजा बहुत डरती थी। दुराचारी कंस ने वासुदेव, देवकी के सातो बच्चों को जन्म लेते ही मार डाले। अब आठवां बच्चा होने वाला था।
कंस : देवकी के आठवें पुत्र के जन्म का समय निकट आ रहा है, इसलिए पेहरा और भी बढ़ा दिया जाए। जो आज्ञा महाराज कंस।
देवकी वासुदेव के कारागृह में बंदी रहने की बात नंदगांव में वासुदेव के मित्र नन्द के कानों तक भी पहुंची। दुराचारी महाराज कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागृह में बंदी बना रखा है। देवकी के आठवें पुत्र के जन्म का समय निकट आ रहा है और इधर यशोदा को भी बच्चा होने वाला है। मुझे उनकी सहायता करनी होगी, आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय सोचना होगा।
जिस समय वसुदेव देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय सहयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी। भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पद्मधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा।
विष्णु जी : वसुदेव मैं बालक का रूप लेकर देवकी के गर्भ से जन्म ले चुका हूँ। मेरा ये अवतार कंस के संहार के लिए ही हुआ है। अब देर ना करो तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुंचा दो और उनकी अभी अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दो।
Also, read : 7 Wonders of the World Names in Hindi - दुनिया के सात अजूबे

ये कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए, देखते ही देखते वासुदेव जी की हथकड़ियां अपने आप खुल गई, द्वार अपने आप खुल गए, सभी पहरेदार सो गए, देवकी बेहोश अवस्था में थी। वासुदेव कृष्ण को एक टोकरी में रखकर गोकुल को चल दिए, बारिश और तूफान के बीच नन्ही कृष्ण को उठाए वासुदेव चल रहे थे।
वासुदेव : यमुना जी का जलस्तर तो बहुत ऊपर हो रहा है, कैसे जाऊं अपने नन्हें बालक को लेकर, हे नारायण सहायता कीजिये।
यमुना नदी श्रीकृष्ण के चरणों को स्पर्श करना चाहती थी। इसलिए वो ऊपर हो गयी, भगवान ने अपने पैर लटका दिए, चरण छूने के बाद यमुना घट गयी। भगवान श्रीकृष्ण की इस लीला को वसुदेव भली भांति देख रहे थे। वो यमुना पार कर गोकुल में नन्द के यहाँ गए।
वासुदेव : मैं इस बालक कृष्ण को तुम्हें सौंप रहा हूँ, ये बड़ा होकर मथुरा वासियों को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएगा।
नन्द : लाओ मित्र वसुदेव यशोदा अभी गहरी नींद मैं है। मै इस बालक को यशोदा के बगल में सुला देता हूँ।
नन्द माया रूपी कन्या को वासुदेव के हाथों में दे देते हैं।
Also, read : Swami Vivekananda in Hindi Biography, Story - स्वामी विवेकानंद

नन्द : ये लो मित्र इससे पहले कि कंस कारागृह में पहुंचे, तुम शीघ्र ही इस कन्या को लेकर वापस लौट जाओ।
वासुदेव : तुम धन्य हो मित्र, तुम धन्य हो।
वासुदेव वापस कारागृह में लौट आते हैं और उनके लौटते ही कारागृह के द्वार अपने आप बंद हो जाते हैं। वासुदेव जी के हाथों में हथकड़ियां पड़ जाती है।
बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पहरेदार बोले, अरे ये तो बच्चे के रोने की आवाज है, महाराज कंस को सूचना देते हैं।
वासुदेव : देव की हमारे यहाँ आठवें पुत्र ने नहीं, पुत्री ने जन्म लिया है।
पहरेदार : क्या अब ये तो पुत्री का जन्म? हुआ है।
पहरेदार कंस के पास जाते हैं। महाराज की जय हो, देवकी ने पुत्र को नहीं, पुत्री को जन्म दिया है। पढ़ -Krishna Story in Hindi.
कंस : क्या, ऐसा कैसे हो सकता है? कोई बात नहीं शायद मेरे प्रकोप से ही भगवान भी डर गए और पुत्र की जगह पुत्री का जन्म हो गया। ये तो विधि का विधान बदल गया, पर मुझे सावधान रहना होगा मैं इस कन्या का भी वध कर दूंगा।
देवकी : भैया इसे छोड़ दो, ये तो कन्या है आपको तो मेरे आठवें पुत्र से कष्ट था।
Also, read : Ganesh Chaturthi Essay in Hindi - गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में

कंस ने देवकी की एक न सुनी और कन्या को देवकी की गोद से छीन लिया कंस ने जैसे ही कन्या को पत्थर पर पटक कर मारना चाहा, वैसे ही कन्या कंस के हाथों से छूटकर आकाश में उड़ गई और कन्या ने देवी का रूप धारण कर लिया। हे कंस तुझे मुझे मार कर कोई लाभ नहीं मिलेगा, तुझे मारने वाला तो कब का पैदा हो चुका है? और गोकुल पहुँच गया है, ये कहकर देवी अंतर्ध्यान हो गई। कंस ये दृश्य देखकर गुस्से से छटपटाने लगा और गुस्से में अपने महल में आ गया।
कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजें, श्रीकृष्ण ने अपनी अलौकिक माया से सारे दैत्य को मार डाला, बड़े होने पर कृष्ण ने कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बिठाया। उस दिन से श्रीकृष्ण के जन्म महोत्सव को सारे देश में बड़े हर्षोल्लास से जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में इस त्योहार की विशेष धूम रहती है और इसी के साथ पूरे ब्रज क्षेत्र में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
उम्मीद करता हूं दोस्तों आप को Krishna Story in Hindi, श्री कृष्ण जी की कहानी पसंद आई होगी। अगर आपको श्री कृष्ण जी के बारे में और जानकारी जानना है तो आप post के नीचे comment करे। तो मिलते हैं अगली post में नई जानकारी के साथ।
Also, read.
➤ Stories
➤ Writing
No comments:
Post a Comment