• Thursday, July 14, 2022

    Pari ki kahani in Hindi - जादुई परी की कहानी - Hindi Kahani

    Pari ki kahani in Hindi - जादुई परी की कहानी

    Pari ki kahani in Hindi - जादुई परी की कहानी

    तो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी Blog, Hindi Best Stories में। बचपन में सभी को परी की कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता था, तो आज फिर से मैं आप की पुरानी यादें ताजा करने के लिये, एक जादुई परी की कहानी सुनाने जा रहा हूं। उम्मीद करता हूं आपको Pari ki kahani in Hindi पसंद आएगी।


    एक बार की बात है दूर देश में एक विधवा अपनी दो बेटियों के साथ रहती थी। विधवा एक अच्छी महिला नहीं थी, दिल से बेहद कठोर और स्वार्थी थी। बड़ी बेटी गीता दिखने में और चरित्र दोनों में अपनी माँ की छवि थी, लोग अक्सर उन दोनों में फरक नहीं कर पाते थे। वे दोनों सामान रूप से ऋण थी और छोटी बेटी सीता ने अपने पिता के देहांत तक उनकी देखभाल करि। वह अपनी जिंदगी में बहुत ईमानदार थी और सीता ने उनसे अच्छे गुण लिए, वह बहुत विनम्र और शहर की सबसे सुंदर लड़की थी। Read Pari ki kahani in Hindi.

    इस चीज़ ने उसकी माँ को पागल कर दिया, क्योंकि वे सीता से नफरत करती थी और बस गीता से ही प्यार करती थी। उसने सीता से घर के सारे काम करवाए, जैसे वह नौकर हो, सीता को सुबह से शाम तक लंबे समय तक काम करना पड़ता था। दिन के अंत में रसोई में अकेले भोजन कराती थी। सीता को एक और काम करना पड़ता था। उसे पैदल चलकर घर के लिए पानी ले जाना पड़ता था। यह एक थका देने वाला काम था, लेकिन सीता ने शिकायत नहीं की क्योंकि उसके पास कोई और विकल्प ही नहीं था। 

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    Pari ki kahani

    एक दिन वो पानी के Jug को धो रही थी जब अचानक एक बूढ़ी औरत उसके पास आईं और पीने के लिए कुछ पानी की भीख मांगने लगीं, सीता ने जवाब दिया और झरने के सबसे साफ हिस्से से पानी से Jug को भर दिया। फिर उसने बूढ़ी औरत को पानी पीने में मदद की, लेकिन सीता को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि वह तो एक Pari से बात कर रही है।

    मेनी आप जैसी लड़की कभी नहीं देखी आप कितनी दयालु और विनम्र है और बहुत सुन्दर भी है। आप इसके लिए उपहार के पात्र हैं, इसलिए अब से हर बार जब आप बोलेंगी, आपके मुँह से एक फूल या एक नगीना बाहर आएगा, यह आप का उपहार है। परी ने इन शब्दों को कहा और फिर अचानक हवा में गायब हो गई सीता को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।

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    वह इतनी हैरान थी कि वह 1 minute तक चुप रही, सीता ने जल्द ही पानी से अपना चेहरा धोया, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह कोई सपना नहीं देख रही है। हाँ, यह सच था, सीता परी के बारे में सोचते हुए घर के रास्ते चल पड़ी। जब वह घर पहुंची तो उसकी माँ ने पानी लाने में देरी करने के लिए उसे बहुत डांटा। Read Pari ki kahani in Hindi.

    जादुई परी की कहानी
    सीता - माँ कृप्या मुझे माफ़ कर दो, मैं जितनी जल्दी से पानी ला सकती थी लेकर आई हूँ।

    सीता ने इन शब्दों को कहा और फिर धीरे से उसके मुँह से दो गुलाब, दो नगीने और दो हीरे गिर गए। उसकी माँ ने एक बार देखा और उसका मुँह खुला रह गया।

    माँ - मेरी बेटी ये क्या हो रहा है? क्या वे हीरे हैं जो तुम्हारे मुँह से निकले? यह कैसे हुआ मुझे बताओ ?

    यह पहली बार था, जब उसने कभी सीता को अपनी बच्चे के रूप में देखा था।

    और तब सीता ने उसे बूढ़ी औरत के बारे में बताया, जिसने उससे पानी मांगा था और जिसने उसे वह उपहार भी दिया था।

    माँ - अगर तुम जो कह रही हो वो सच है तो तुम्हारी बहन को भी पानी भरने जाना चाहिए।

    फिर उसने बड़ी बेटी को बुलाया।

    माँ - गीता एक बार यहाँ आओ और देखो की तुम्हारी बहन के मुँह से क्या निकल रहा है। क्या तुम उसके जैसा उपहार पाना पसंद नहीं करोगी? तुम्हें भी उस फुवारे पर जाना चाहिए और इंतजार करना चाहिए, जब तक कि कोई बूढ़ी महिला? तुम से पानी ना मांगे।

    गीता - क्या माँ? क्या आप मुझ से काम करवाना चाहती है?

    बिगड़ी हुई लड़की ने घमंड से पूछा,

    माँ - मुझे यकीन है, मैं तुम्हें बता रही हूँ की तुम्हें उस झरने में जाना है और तुम उस महिला को पानी पिलाओगे अब जाओ और हमारे पास से सबसे अच्छा जग लेकर जाओ।

    उसकी माँ लालच से भरी हुई थी और उसने अपनी बेटी को उपहार से अमीर बनने का रास्ता दिखाया।

    गीता ने एक चांदी का जग लिया और झरने की ओर निकल पड़ी। वो काम करने से नफरत करती थी और क्योंकि वो बहुत बिगड़ी हुई थी, तो रास्ता भी नहीं पता था। अंत में जब वे जगह पर पहुंची तो एक सुंदर पोशाक में एक नारी जंगल से बाहर आईं और बड़ी बहन के पास पहुंची। 

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    परी - क्या मुझे कुछ पानी मिल सकता है?

    यह वही परी ही थी जो सीता को दिखाई दीं, लेकिन इस बार उसने खुद को एक राजकुमारी के रूप में प्रकट किया और गीता को कुछ भी पता नहीं था। गीता ने बहुत बेरुखी से जवाब दिया।

    गीता - क्या आप अभी मुझसे मजाक कर रही है क्या। सुनिए Madam अगर आपको लगता है कि मैं इस घटिया झरने पे इस लिए आई हूँ की आप जैसी राजकुमारी को पानी पीला सकूँ तो आप बिल्कुल गलत है। यदि आप कुछ पानी चाहती है तो इसे स्वयं पीले, आपको क्या लगता है कि आप अपनी सुंदर पोशाक और सुंदर बालों के साथ मुझे आकर्षित कर सकती हैं?

    परी ने शांति से उत्तर दिया और गीता के व्यवहार को गौर से देखा। 

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    परी - हे भगवान तुम विनम्र जवान लड़की तो बिल्कुल भी नहीं हो। तुम फूल और हीरो की तो लायक नहीं हो, लेकिन जब तुम बोलोगी तो सांप और मेंढक तुम्हारे मुँह से गिरेंगे। हाँ ऐसा ही होना चाहिए।

    परी ने अपना भयानक जादू किया और वापस जंगल में गायब हो गयी। गीता घर वापस चली गयी और वो उलझन में थी क्या हुआ था? क्या सचमुच मेंढक उसके मुँह से निकलेंगे? जब वह घर पहुंची, तो उसकी माँ ने उसे सवाल पूछना शुरू कर दिया।

    माँ - गीता क्या तुमने परी को देखा? क्या उसने तुम पर वैसा ही जादू चलाया जैसा उसने तुम्हारी बहन पर किया था? बोलो ना? तुरंत जवाब दो।

    गीता - नहीं उसने ऐसा नहीं किया।

    जैसे ही गीता बात की दो मेंढक और एक सांप उसके मुँह से गिर गया।

    माँ - हे भगवान ये क्या हुआ, ये तुम्हारी उस बहन की गलती है? मैं उसे अभी बुलाती हूँ और उसे वही मिलेगा जिसकी वो हकदार हैं। 

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    उनकी माँ सीता को खोजने के लिए दौड़ी, लेकिन सीता तो जंगल में भाग गई थी। जहाँ वे बैठकर रोती थी, अचानक चालक ने कुछ घोड़ों को अपनी ओर आते सुना और एक क्षण बाद शोर करने वाला व्यक्ति दिखाई दिया। यह राजकुमार था, उसने ये लड़की से पूछा की वे जंगल में अकेली क्या कर रही है और वह क्यों रो रही है?

    सीता - मेरी माँ ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया इसलिए मैं यहाँ छिप गयी।

    जैसे की लड़की बोल रही थी उसके मुँह से नीलम, माणिक, हीरे और कुछ फूल गिर रहे थे। राजकुमार उसकी कोमल आवाज़ और सुंदरता को देखकर पिघल गया था।

    उसे सीता से प्यार हो गया, वह उसके इस गुण से चकित था और इसलिए उसने उससे उसका हाथ मांगा। सीता को पता था की ये राजकुमार एक बहुत अच्छा आदमी है, इसलिए वह राजकुमारी बनने के लिए तैयार हो गयी। वह उसे अपने महल में ले गया और सीता अंत में भयानक परिवार से मुक्त हो गयी। उन दोनों ने खुशी खुशी जीवन व्यतीत किया और सीता ने शान के साथ राज्य पर शासन किया, और आप सोच रहे होंगे कि उस दुष्ट माँ और गीता के साथ क्या हुआ?

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    खैर उन्हें छोड़कर सभी का सुखद अंत हुआ, बड़ी बेटी के साथ रहना इतना असंभव हो गया कि उसकी अपनी माँ ने उसे घर से निकाल दिया और वह जंगल में भटक गयी। जहाँ भी वह जाती, सांप और मेंढक फैलाती थी और वो बुरी विदवा अपने पूरे जीवन में किसी भी परिवार यार धन के बिना बुरी तरह से अकेली रही।

    निष्कर्ष / Conclusion.

    तो कहानी से हमें यह सीख मीलती है कि दयालु और विनम्र होना हमारे जीवन की शुरुआत में तो मुश्किल हो सकता है लेकिन ऐसे गुणों का फल हमें जरूर मिलता है और इसका मूल्य दुनिया के सभी नगीनों और हीरो से बहुत अच्छा मिलता है। 

    तो दोस्तों कैसी लगी आपको Pari ki kahani in Hindi, Comment मैं बताइए। अगर आपको कहानी सुनना पसंद है तो हमारी इस Blog पर visit करे और Blog को Save करे। 

     

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